सभी भाइयो और बहनों को मेरा प्रेम भरा नमस्कार !!
आज मैं आप सब के सामने मेरी एक नयी कविता पेश करने जा रहा हूँ, उम्मीद करता हु कि आप सबको पसंद आएगी । जैसा कि आप सब जानते है कि जैसे जैसे समय निकलता जा रहा है , समाज में बुराई एक गंध की तरह फैलती ही जा रही है । इंसान को आज सिर्फ अपना भला दिखाई देता है , अपने भले के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है, किसी को भी शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट पंहुचा सकता है । लोभ लालच तो उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बनता जा रहा है । जैसे रावण के दस सर थे , ठीक उसी तरह आज बुराइयो का भी कोई एक रूप नहीं है , हर दिन कुछ नया सुन ने को मिल ही जाता है । कुछ ऐसी ही बुराइयो के बारे में आप सबको कविता के ज़रिये बताने कोशिश कर रहा हूँ :-
आज के इस समाज की बुराइयाँ,
बढ़ा रही मानव की कठिनाईयां,
मानव अपने स्वार्थ के पीछे अँधा हो गया है,
ईमान को बेच खाना अब एक धंधा हो गया है,
पुरे देश में बढ़ रही भ्रस्टाचार की महामारी,
कही पर रिस्वतखोरी तो कही है कालाबाज़ारी,
नौकरियों में भी भाई भतीजावाद अपना रहे है,
अपने रिश्तेदारों को ही नौकरी दिलवा रहे है,
योग्य युवक दर-दर की ठोकरे खा रहे है,
मर-मर कर बची खुची ज़िंदगी बिता रहे है,
आरक्षण की समस्या भी सर पर नाच रही है,
योग्य व्यक्तियों को नौकरी की नहीं आस रही है,
कई डॉक्टर, इंजीनियर को नहीं मिल रहा है रोज़गार,
डिग्री ले लेकर बैठे है सब सब घर में बेकार,
भगवन के नाम पर भी लूटपाट करते है लोग,
क्या अब भगवन से भी नहीं डरते है लोग,
फैशन के रंग में लडकिया गयी है इतना रंग,
इनको देख कर दुनिया हो रही है दंग,
कम कपडे तो ये लड़कियों पहनती है,
और बदनाम भारत देश को करती है,
सामाजिक प्रदुषण तो ये दूरदर्शन फैला रहा है,
अश्लील चलचित्र की एक अलग दुनिया चला रहा है,
आज मोबाइल हर किसी के पास मिलता है,
आधे से ज़्यादा में अश्लील चलचित्र ही चलता है,
ये लोग ही कर रहे है भारतीय संस्कृति का दमन,
इनके सुधार से ही फैलेगी शांति और अमन,
ये ज़िम्मेदारी सभी भारतवासियो को लेनी है,
इन समस्याओ को जड़ समेत उखाड़ फेंकनी है,
इन सबके लिए जब एक होंगे हिन्दू मुसलमान,
तब दुनिया में नंबर वन होगा हमारा हिंदुस्तान ॥
आज मैं आप सब के सामने मेरी एक नयी कविता पेश करने जा रहा हूँ, उम्मीद करता हु कि आप सबको पसंद आएगी । जैसा कि आप सब जानते है कि जैसे जैसे समय निकलता जा रहा है , समाज में बुराई एक गंध की तरह फैलती ही जा रही है । इंसान को आज सिर्फ अपना भला दिखाई देता है , अपने भले के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है, किसी को भी शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट पंहुचा सकता है । लोभ लालच तो उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बनता जा रहा है । जैसे रावण के दस सर थे , ठीक उसी तरह आज बुराइयो का भी कोई एक रूप नहीं है , हर दिन कुछ नया सुन ने को मिल ही जाता है । कुछ ऐसी ही बुराइयो के बारे में आप सबको कविता के ज़रिये बताने कोशिश कर रहा हूँ :-
रिश्वतखोरी |
बढ़ा रही मानव की कठिनाईयां,
मानव अपने स्वार्थ के पीछे अँधा हो गया है,
ईमान को बेच खाना अब एक धंधा हो गया है,
पुरे देश में बढ़ रही भ्रस्टाचार की महामारी,
कही पर रिस्वतखोरी तो कही है कालाबाज़ारी,
नौकरियों में भी भाई भतीजावाद अपना रहे है,
अपने रिश्तेदारों को ही नौकरी दिलवा रहे है,
योग्य युवक दर-दर की ठोकरे खा रहे है,
मर-मर कर बची खुची ज़िंदगी बिता रहे है,
आरक्षण की समस्या भी सर पर नाच रही है,
योग्य व्यक्तियों को नौकरी की नहीं आस रही है,
कई डॉक्टर, इंजीनियर को नहीं मिल रहा है रोज़गार,
डिग्री ले लेकर बैठे है सब सब घर में बेकार,
भगवन के नाम पर भी लूटपाट करते है लोग,
क्या अब भगवन से भी नहीं डरते है लोग,
फैशन के रंग में लडकिया गयी है इतना रंग,
इनको देख कर दुनिया हो रही है दंग,
कम कपडे तो ये लड़कियों पहनती है,
और बदनाम भारत देश को करती है,
सामाजिक प्रदुषण तो ये दूरदर्शन फैला रहा है,
अश्लील चलचित्र की एक अलग दुनिया चला रहा है,
आज मोबाइल हर किसी के पास मिलता है,
आधे से ज़्यादा में अश्लील चलचित्र ही चलता है,
ये लोग ही कर रहे है भारतीय संस्कृति का दमन,
इनके सुधार से ही फैलेगी शांति और अमन,
ये ज़िम्मेदारी सभी भारतवासियो को लेनी है,
इन समस्याओ को जड़ समेत उखाड़ फेंकनी है,
इन सबके लिए जब एक होंगे हिन्दू मुसलमान,
तब दुनिया में नंबर वन होगा हमारा हिंदुस्तान ॥
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